Hindi Poems on Life ( हिंदी कविता जीवन पर ): Friends, today in this post a collection of some of the best poems based on life has been given. This poem best identifies and explains the truth and importance of life.
दोस्तों इस जीवन के भाग दौड़ में हम कब जिन्दगी भर का सफ़र तय कर लेते हैं. हमें पता ही नहीं चलता हैं. तो हम लेकर आए हैं कुछ खास आपके लिए जिंदगी पर आधारित 35+ बेहतरीन कविताएं हिंदी में। इन कविताओं में कवि ने बहुत ही बेहतरीन तरीके से जीवन का वर्णन किया है। हम उम्मीद करते है आपको यह जिंदगी पर हिंदी कविता (Hindi Poems on Life) पसंद आएगी।
Poems on Life in Hindi
कोई जगह होगी, जहाँ से न जाना होगा,
इस परिंदे का कहीं तो आशियाना होगा।न जाने किस शय का मुन्तज़िर है अब,
न जाने किस ओर अब ठिकाना होगा।कई चेहरों सा दिखने लगा है अब चेहरा,
शायद इस लिए उसने न पहचाना होगा।देख कर मुझे भी उतनी ही हैरत होती है,
आईना भी मेरी तरह बहोत पुराना होगा।अब तू ही कुछ बोल बेचैन दिल मेरे,
क्या फिर से मुझे सब कुछ बताना होगा?
कल एक झलक ज़िंदगी को देखा,
वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी,फिर ढूँढा उसे इधर उधर
वो आंख मिचौली कर मुस्कुरा रही थीएक अरसे के बाद आया मुझे क़रार,
वो सहला के मुझे सुला रही थीहम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे से
मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया कमबख्त तूने,
वो हँसी और बोली- मैं जिंदगी हूँ पगले तुझे जीना
सिखा रही थी..।
तू वो चाँद है….
जिसको मैं पाना नहीं चाहती, “लेकिन.. तुजे देखने का…..
एक भी मौका गँवाना नहीं चाहती..तुम्हें दुर से चाहना मंजूर है मुझे,
मेरी इस इबादत पर गुरुर है मुझे,तुम्हें अपने लफ़्ज़ों में छुपाकर रखूं मैं,
अपनी शायरी में बसा कर रखूँगी,चाँद सा है तू. तेरी चाँदनी नही,
मैं खुद को जमी बना कर रखूँगी…!!
Poem on truth of life in hindi
एक चेहरा जो मेरे ख़्वाब सजा देता है।
मुझे खुश रहने की वजह देता है,वो मेरा कौन है, मालूम नहीं लेकिन
जब भी मिलता है, पहलू में जगह देता है,मैं जो कभी अन्दर से टूट कर बिखरू
वो मुझे थामने के लिए हाथ बढ़ा देता है,मैं जो तन्हा कभी चुपके से रोना भी चाहूं
वो दिल का दरवाज़ा खटखटा देता है,उसकी बातों में जाने कैसा जादू है।
एक ही पल में सदिया भुला देता है..
हमें भी प्यार करना आ गया है।
कि जीने का सलीक़ा आ गया है।तुम आने वाले थे ना जनवरी में
दिसंबर का महीना आ गया है।वो आमादा हुए क्यों ख़ुदकुशी पर
जो कहते थे कि जीना आ गया है।ख़ुशी अब जीत की दूँगी मैं उसको
मुझे अब हार जाना आ गया है।कहो क्यों ज़ख़्म पर मरहम लगाऊँ
जब इसका लुत्फ़ लेना आ गया हैतुझे ग़म दे के ख़ुश होती है दुनिया
‘तबस्सुम’ क्या ज़माना आ गया है.।
कभी अपनी हंसी पर आता है गुस्सा ।
कभी सारे जहां की हंसाने का दिल करता है ।।कभी छुपा लेते है गम की दिल के किसी कोने में।
कभी किसी को सब कुछ सुनाने का दिल करता है ।।कभी रोते नही लाख दुःख आने पर भी ।
और कभी यूँ ही आंसू बहाने को दिल करता है।कभी अच्छा सा लगता है आज़ाद घूमना, लेकिन कभी
किसी की बाहों में सिमट जाने को दिल करता है।।कभी कभी सोचते है नया हो कुछ जिंदगी में।
और कभी बस ऐसे ही जिये जाने को दिल करता है ।।
Poems About life in Hindi
ज़िन्दगी की दौड़ में,
तजुरबा कच्चा ही रह गया….।हम सीख न पाये ‘फ़रेब
और दील बच्चा ही रह गया…।बचपन में जहाँ चाहा हंस लेते थे,
जहाँ चाहा से लेते थे…।पर अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए
और आँसुओं को तन्हाई… |हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से
देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों मैं ….चलो मुस्कुराने की वजह डुढते है तुम हमें ढूँढो,
हम तुम्हें ढूँढते है….।
चेहरे की हसी दिखावट सी हो रही है
असल ज़िन्दगी भी बनावत सी हो रही हैअनबन बढ़ती जा रही रिश्तों में भी
अब अपनों से भी बग़ावत सी हो रही हैपहले ऐसा था नहीं जैसा हूँ आजकल
मेरी कहानी कोई कहावत सी हो रही है।दूरी बढ़ती जा रही मंज़िल से मेरी
चलते चलते भी थकावट सी हो रही हैशब्द कम पड़ रहे मेरी बातों में भी
ख़ामोशी की जैसे मिलावट सी हो रही हैऔर मशवरे की आदत न रही लोगो को
अब गुज़ारिश भी शिकायत सी हो रही है ।
घर की पुरानी दीवारों सा,
अब ढहने लगा है आदमी !बहुत ढो चुका रिश्तों का बोझ,
अब दबने लगा है आदमी !ज़िन्दगी के हादसों में टूटकर
बिखरने लगा है आदमी !अपनों में रहकर भी अजनबी
सा लगने लगा है आदमी !घर की पुरानी दीवारों सा,
अब ढहने लगा है आदमी !
Hindi Poetry on Life
बढ़ रहे है मेरे कदम तेरी आवाज की तरफ
चला जा रहा हूं तेरे पैरों के निशान की तरफखींच लाई है तेरी याद आज फिर से मुझको
जो मर चुके थे मेरे अंदर उन एहसास की तरफमैने आज तक कभी भी नही की पीठ जाना
जिस पर लगी है तेरी तस्वीर उस दीवार की तरफफिर रुकते नही है तब बहने से आसूं मेरे
जब जाता है ध्यान हमारे टूटे हुए ख्वाब की तरफभर जाता है जब मन शहर की भागती दौड़ती जिंदगी से
पकड़ता हूं बस और चल पड़ता हूं तेरे गांव की तरफआज भी तड़पती है मेरी मोहब्बत तेरी मोहब्बत को
आज भी झुकता है मेरा सिर तेरे मकान की तरफ..।
खुद को में समझाऊं कैसे
बातें तुम्हारी भुलाऊं कैसे।दूरियाँ जो तुमने बना ली
उन्हें अब में मिटाऊं कैसे ॥साँसे चल रही तेरे नाम की
उनका शोर सुनाऊं कैसे।दिल में तुम्हे छुपा के रखा
हाल ए दिल बताऊँ कैसे।।आँखों में तस्वीर तुम्हारी
आँसुओं में बहाऊँ कैसे।तुम्हें अपना खुदा माना
जुदा फिर हो जाऊँ कैसे..
दरिया का सारा नशा उतरता चला गया
मुझको डुबोया और मैं उभरता चला गयावो पैरवी तो झूट की करता चला गया
लेकिन बस उसका चेहरा उतरता चला गयाहर साँस उम्र भर किसी मरहम से कम न थी
मैं जैसे कोई ज़ख्म था बढ़ता चला गयाहद से बढ़ी उड़ान की ख़्वाहिश तो यूं लगा
जैसे कोई परों को कुतरता चला गयामंज़िल समझ के बैठ गये जिनको चंद
लोग मैं ऐसे रास्तों से गुजरता चला गयादुनिया समझ में आई मगर आई देर से
कच्चा बहुत था रंग उतरता चला गया.!
Best Short Kavita In Hindi
जो छूट गया उसका क्या मलाल करें,
जो हासिल है, चल उस से ही सवाल करें |बहुत दूर तक जाते हैं, याँदो के क़ाफ़िले,
फिर क्यों पुरानी यादो मे सुबह से शाम करें।माना इक कमी सी है, जिंदगी थम सी हैं,
पर क्यों दिल की धड़कनों को दरकिनार करें !!मिल ही जाएगा जीने का कोई नया बहाना,
आ ज़रा इत्मीनान से किसी ख़ास का इंतज़ार करें !!
रूढूँगा मैं तुमसे इक दिन इस बात पे
जब रूठा था मैं तो मनाया क्यूँ नहीकहते थे तुम तो करते हो मुझसे प्यार
जो दिखाया मैने नखरा तो उठाया क्यूँ नहीमुहँ फेर कर जब खडा था मैं वहां बुलाकर
पास सीने से अपने लगया क्यूँ नहीपकड कर तेरे हाथ पुहूँगा मैं तुमसे हक
अपना मुझ पर तुमने जताया क्यूँ नहीइस धागे का एक सिरा तुम्हारे पास भी तो था
उलझा था अगर मुझसे तो तुमने सुलझाया क्यूँ
नही.!
तुम रोक न पाओगे कभी भी मेरी यादों को
तुम रोक न पाओगे नीदों में आने से मेरे ख्वाबों कोतेरा नाम लेकर जो पुकारती है सिर्फ तुम को
तुम रोक न पाओगे मेरी उन आवाजों कोजिसने भिगोया था हमे पहली ही मुलाकात में
तुम रोक न पाओगे सावन की उन बरसातों कोतुझे पाने के लिए मैंने की है जो खुदा के आगे
तुम रोक न पाओगे मेरी उन फरियादों कोदिन तो जैसे तैसे कट जाएगा तुम्हारा पर
तुम रोक न पाओगे बैचेन करती उन तन्हा रातों कोमोहब्बत में जो तुमने तोड़ दिए थे यारा
तुम रोक न पाओगे याद आने से उन वादों को..!
Hindi Poems on Zindagi
भूलकर खुद के ख्वाबों को आधे रास्ते में तुम
ज़माने भर की बातों में उलझे बैठे हो….. …कह रहा है दिल तुमसे कुछ दिल की बातें.
तुम छोड़ मायने उनके, उनके शब्दों में उलझे बैठे हो ….हर दिन इक नया दिखा रहा है नज़राना तुमको
तुम हो कि पिछले दिनों की यादों में उलझे बैठे होतुम कैसे जानोगे हाल भला दिल का उनके …..
तुम तो बस उनकी आंखों में उलझे बैठे हो.भूल कर खुद के ख्वाबों को आधे रास्ते में तुम ….
ज़माने भर की बातों में उलझे बैठे हो……
किसी दिन जिंदगानी में करिश्मा क्यूँ नहीं होता
मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ ज़िंदा क्यूँ नहीं होतामिरी इक जिंदगी के कितने हिस्सेदार हैं लेकिन
किसी की जिंदगी में मेरा हिस्सा क्यूँ नहीं होताजहाँ में यूँ तो होने को बहुत कुछ होता रहता है।
मैं जैसा सोचता हूँ कुछ भी वैसा क्यूँ नहीं होताहमेशा तंज़ करते हैं तबीयत पूछने वाले तुम
अच्छा क्यूँ नहीं करते मैं अच्छा क्यूँ नहीं होताज़माने भर के लोगों को किया है मुब्तला तू ने
जो तेरा हो गया तू भी उसी का क्यूँ नहीं होता.।
जो तुझे पुकारता रहा रात के अंधकार में
वो सुबह तक मर गया तेरे इंतजार मेंकोई होता तो देता जवाब किसी बात का
लाश मिली थी उसकी एक खाली मकान मेंदीवारों पर तेरा नाम और हाथ में तेरी तस्वीर
उसका देख रहे थे तमाशा लोग खड़े कतार मेंसुबह होती थी तेरे दर पर और रात तेरी गली
मेंकुछ ऐसी बाते हो रही है आज समाज मेंउसके दो ही तो महबूब थे एक तू दूसरा खुदा
मिलता था वो तेरे घर पर या फिर मजार मेंये मोहब्बत भी अजीब चीज़ होती है दोस्तों
आशिक गुजर जाता है हर हद से उसके खुमार में
Hindi Kavita On Life
कुछ रुठे रुठे से लगते हो,
तुम कहो तो तुम्हें मनाऊं क्यादिल का हाल बहुत बुरा है,
तुम कहो तो तुम्हें बताऊं क्यातुम्हें लगता है प्यार कम है मेरा,
तुम कहो तो तुम्हें जताऊं क्या ।पर अफसोस तुम कभी कुछ कहते ही नहीं,
कहते हो साथ हो पर कभी रहते ही नहीं,दिल में दर्द है कितना,
तुम्हें रो के दिखाऊं क्या ।तुम कभी नहीं समझोगे मुझे,
एक बार कह कर तो देखो, तुम्हें समझाऊँ क्या.!
दो पल ठहर के मेरे पास वह आया
पूछा मिली थी जो खुशी उसे क्यों ठुकरायाऐसे में जब मैं हल्का सा मुस्कुराया
नजरें उठाई और तब सवाल ठुकरायाजवाब सुनकर वह भी रोने लगा कहीं
ना कहीं मेरे दर्द में खोने लगामेरे भाई हसा नहीं कभी खुद के लिए
जिया हो जिंदगी पर ना कभी अपने लिएइस खुशी का एक ही इंसान मोहताज
था मेरी जान मेरी धड़कनों का वो ताज था..आखिर खत्म हो गया एक किस्सा मेरी जिंदगानी
का पर नाज रहेगा हमेशा अपनी कहानी पर ।
अजीब सी कशमकश है जिंदगी की
आज क्या है और कल क्या हो जाएगी!एक पल में बदल जाती है जिंदगी यहां
जो है राहें वो कल कहां नजर आयेंगी !धुंधला धुंधला सा है शमा आज यहां
जो लम्हा है संग वो भी गुजर जायेगा !पर थोड़ी उम्मीद तो अभी बाकी है।
कि ये जीवन मेरा भी संभल जाएगा!कभी कोई तो होगा मेरा भी जीवन में
जो यहां मेरा सिर्फ मेरा कहलाएगा!सहारा बनेगा मेरा वो इस जीवन में
मेरी जिंदगी में भी वो लम्हा आयेगा.!
Hindi Poems On Life by famous poets
जो बंद होती है आँखे, तुम नज़र आती हो
जब खुल जाती है आँखे, तुम तब भी दिख जाती होजाने क्या जादू किया है, मुझको यूं मोहित किया हैं
और कोई आए ना आए, तुम याद ज़रूर आती होशायद तुमको लगता होगा, तारीफे ज्यादा हो जाती है
क्या करू तुमको देखकर, तारीफ निकल ही जाती है।जो प्यारी सी सूरत है, उतनी प्यारी सीरत है।
ऐसी प्यारी कोई नहीं, जो प्यारी तुम लगती हो।जानता हूं ना होगा ये, फ़िर भी अपनी लगती हो
जाने क्यों मेरे सफ़र की, हम सफर तुम लगती हो ।
मन करता है रोज़ाना, आया करू तेरी गली,
कहीं तू गली में, बदनाम ना हो जाए।सोचता हूं के बुलालु, तेरे घर के बाहर तुझे,
कहीं तेरी दूसरों से पहचान ना हो जाये।दिल चाहता है मिलने को, गले लगने को तुझे
कहीं छुपी मोहब्बत, सरेआम ना हो जाए।हश्र देख कर आशिकों के, डर लगता है थोड़ा
कहीं उन जैसा मेरा भी अंजाम ना हो जाए।पहली बार है शायद, दिल में मोहब्बत सा थोड़ा
कहीं फिर इन जज़्बातो का, काम तमाम ना हो जाए।
स्कूल के दिनों की बड़ी प्यारी यादें हैं
हर पल में मुस्कान देने वाली यादें हैंस्कूल के सारे दोस्त भी सबसे सच्चे
ज़िन्दगी में स्कूल के दिन सबसे अच्छेहोमवर्क के अलावा कोई चिंता नहीं
डांट मिले टीचर से जिसमे द्वेष नहींतब लगता था जाने कब कॉलेज में जाएंगे
कब पढ़ना लिखना छोड़ कर पैसा कमाएंगे।लेकिन अब वो स्कूल फिर याद आता है
टीचर और होमवर्क सब याद आता हैं।ऑफिस की प्रेजेंटेशन से होमवर्क ही अच्छा था
बॉस की फटकार से टीचर का डंडा अच्छा थाकमाने के दिन से तो स्कूल के दिन अच्छे थे
कितने प्यारे थे वो दिन जब हम बच्चे थे.!
Life Poems in Hindi
कई किस्से चढ़ गए वक्त की भेंट
पर कुछ किस्से हैं जो पुराने नहीं होतेकाश थोड़ा और रो लेते दर पर तुम्हारे
आज आंखों में आंसू छुपाने नहीं होतेउसने कहा भूल जाओ और यह भी ना सोचा
छोड़ने के जैसे भूल जाने के बहाने नहीं होतेवह पूछते हैं हाल मेरा, कोई बताओ उन्हें
सूखे दरख्तों के डाल झुकाने नहीं होतेहैरां हो क्यों हमें चुपचाप गुमसुम देखकर
हम कटी पतंग हैं हमारे ठिकाने नहीं होतेअब जो जा रहे हो तुम, एक बात याद रखना
प्यार सभी करते हैं, सभी दीवाने नहीं होते..!
शहर में झांकती उदास शाम को देखा है
आवारा सड़कें गलियां को बदनाम देखा हैबड़ा मशहूर था एक शख्स क़िस्सों में यंहा
हमने उसकी मौत को भी गुमनाम देखा हैसराफत के नाम से मशहूर था जो कभी
चंद सिक्कों में उसको होते बेईमान देखा हैदीवारों पे लिख रखे हैं सबने नाम यंहा
चैन से जीने वाले को हमने बेनाम देखा है।
कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दियाअफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैं
लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दियारातों को चांदनी के भरोसें ना छोड़ना
सूरज ने जुगनुओं को ख़बरदार कर दियारुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफ
तुमने ज़रा सी बात को अखबार कर दियाइस बार एक और भी दीवार गिर गयी
बारिश ने मेरे घर को हवादार कर दियाबोल था सच तो ज़हर पिलाया गया मुझे
अच्छाइयों ने मुझे गुनहगार कर दियादो गज सही ये मेरी मिलकियत तो हैं
ऐ मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया.।
काश जिंदगी मेरी कोई किताब होती,
जिक्र तुम्हारे पन्नो को में फाड़ देतीस्याही जिस कलम की ईसतमाल होती,
उस काँच की शीशी को में उजाड़ देती ।सहारा क्यो दिया तुमने,
जबकि खुद को में संभाल लेती ।हां गिरती कही बार, चूने मेरे रास्तो पर
लेकिन विश्वास है मुझे, खुद को में संभाल जाती ।दिखावे कि तुम्हारे उन बातो को,
काश, पहले ही में पहचान पाती ।जाहिर कर देते वो राज़,
जो दिल मे थे तुम्हारे ।सच कहती हूँ,
अपने जिक्र को भी,तुम्हारे (जिन्दगी की ) किताब में टाल देती ।
चलो हंसने की कोई, हम वजह ढूंढते हैं,
जिधर न हो कोई ग़म, वो जगह ढूंढते हैं!
बहुत उड़ लिए ऊंचे आसमानों में यारो,
चलो जमीं पे ही कहीं, हम सतह ढूंढते हैं!
छूटा संग कितनों का ज़िंदगी की जंग में,
चलो उनके दिलों की, हम गिरह ढूंढते हैं !
बहुत वक़्त गुज़रा भटकते हुए अंधेरों में,
चलो अँधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं !!!
बिन सफ़र, बिन मंज़िलों का
.एक रास्ता होना चाहता हूँ।कहीं दूर किसी जंगल में,
ठहरा दरिया होना चाहता हूँ।एक ज़िन्दगी होना चाहता हूँ,
बिना रिश्तों और रिवाजों की।दूर आसमान से गिरते,
झरने में कहीं खोना चाहता हूँ।मैं आज ‘मैं’ होना चाहता हूँ।
ये जो जिंदगी की किताब है,
ये किताब भी क्या किताब है,
कहीं इक हसीन सा ख्वाब है,
कहीं जानलेवा अज़ाब है,
कहीं खो दिया, कहीं पा लिया,
कहीं रो लिया, कहीं गा लिया,
कहीं छीन लेती है हर खुशी,
कहीं मेहरबां बेहिसाब है,
ये जो जिंदगी की किताब है,
ये किताब भी क्या किताब है,
मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ
वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँएक जंगल है तेरी आँखों में
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँतू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँहर तरफ़ एतिराज़ होता है
मैं अगर रौशनी में आता हूँएक बाज़ू उखड़ गया जब से
और ज़ियादा वज़न उठाता हूँमैं तुझे भूलने की कोशिश में
आज कितने क़रीब पाता हूँ.!
Hindi Poems On Life Inspiration
“राह में मुश्किल होगी हजार,
तुम दो कदम बढाओ तो सही,
हो जाएगा हर सपना साकार,
तुम चलो तो सही, तुम चलो तो सही।
मुश्किल है पर इतना भी नहीं,
कि तू कर ना सके,
दूर है मंजिल लेकिन इतनी भी नहीं,
कि तु पा ना सके,
तुम चलो तो सही, तुम चलो तो सही।…”
मैंने सजाया था तुम्हें अपने मुकुट में मान सा,
लेकिन तुम्हें ना हो सका उसका जरा भी भान सा।
अब क्या करे कोई तुम्हारी सोच तो बदली नहीं,
तुमको भी साथी चाहिए एक जादूगर धनवान सा।
सोचा बहुत रोका बहुत पर फिर भी देखो ना थमा,
आज भी उठता है दिल में एक बड़ा तूफान सा।
देखते हो क्या मकां ये इसमें कोई घर नहीं,
एक खंडहर है फकत टूटा हुआ वीरान सा।
दौलतें जग की मिलें पर ना मिले गर साथिया,
मधुकर बना रहता है फिर इंसान इक अनजान सा।”
कल एक झलक ज़िंदगी को देखा,
वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी,
फिर ढूँढा उसे इधर उधर वो आंख
मिचौली कर मुस्कुरा रही थी
एक अरसे के बाद आया मुझे
क़रार, वो सहला के मुझे सुला रही थी
हम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे
से मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,
मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया कमबख्त तूने,
वो हँसी और बोली- मैं जिंदगी हूँ पगले
तुझे जीना सिखा रही थी।
ज़िदगी की दौड़ में कुछ छूट गया, कुछ हासिल हुआ
किसी ने दुत्कारा, तो दी किसी ने हँसते हुए दुआ
सबके अपने किस्से हैं. कुछ बताने, कुछ छुपाने लायक
हों रंग जैसे भी इनके, कुछ खिलाफ हैं कुछ सहायक
नहीं पकड़ सकते हाथ हमारे बीते दौर के लम्हों को
होता नहीं कभी-कभी इख़्तियार में हमारे छूना जज्यात को
रहते जिनके सान्निध्य में, होते पलक झपकते दूर हैं
उठें प्रश्न होता कैसे ये घटित, जाने कौन से गरूर हैं
ये दौड़ जीवन की चलती रहेगी सदैव क्रम में अपने
कहीं महकेंगे कहीं हो रुसवा बिखरेंगे किसी के सपने।
गुज़ार दिए होंगे तुमने, कई दिन, महीने, साल..
जो काट ना सकोगे वो एक रात हूँ मै।
की होगी गुफ्तगू, तुमने कई दफा कई लोगों से,
दिल पर जो लगेगी वो एक बात हूँ मै।
भीड़ में जब तन्हा, खुदको तुम पाओगे,
अपनेपन का एहसास जो करा दे, वो एक साथ हूँ मैं।
बिताये होंगे तुमने कई हसीन पल सबके साथ में,
जो भुला नहीं पाओगे, वो एक याद हूँ मै।
ज़िन्दगी के लिए इक ख़ास सलीक़ा रखना
अपनी उम्मीद को हर हाल में ज़िन्दा रखना