Kumar Vishwas Shayari: Today we have brought specially for you some very selected poetry of Dr. Kumar Vishwas, which you will surely like.
डॉ. कुमार विश्वास बहुत ही अच्छे हिंदी कवि है, इनके द्वारा लिखी गई शायरी हर व्यक्ति के द्वारा पसंद की जाती है। उनके द्वारा लिखी कविताएं और शायरी पढ़ने के बाद आप उनके दीवाने हो जायेंगे। तो अभी पढ़ना शुरू कीजिये और इनका आनंद लीजिये साथ सी साथ अपने प्रियजनों के साथ भी शेयर कीजिये।
Kumar Vishwas Shayari
दिल के तमाम ज़ख़्म तिरी हाँ से भर गए,
जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए..!
जब भी मुँह ढंक लेता हूँ
तेरे जुल्फों की छाँव में
कितने गीत उतर आते हैं
मेरे मन के गाँव में
कोई दीवाना कहता है,
कोई पागल समझाता है,
हर धरती की बेचैनी को बस
बादल समझता है।
जो किए ही नहीं कभी मैंने,
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं.
मुझसे फिर बात कर रही है वो,
फिर से बातों मे आ रहा हूँ मैं !
दिल के तमाम ज़ख़्म तिरी हाँ से भर गए
जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए
जब भी मुँह ढंक लेता हूँ
तेरे जुल्फों की छाँव में
कितने गीत उतर आते हैं
मेरे मन के गाँव में
इस अधूरी जवानी का क्या फ़ायदा,
बिन कथानक कहानी का क्या फ़ायदा,
जिसमें धुलकर नज़र भी न पावन बनी
आंख में ऐसे पानी का क्या फ़ायदा।
उसी की तरह मुझे सारा जमाना चाहे,
वह मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे।
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
यह मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे।
उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे
वो मिरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे
जब से मिला है साथ मुझे आप का हुज़ूर
सब ख़्वाब ज़िंदगी के हमारे सँवर गए
फिर मिरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी
छू गया जब कभी खयाल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा।
कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया था घर में,
और घर देर तक महकता रहा।
जवानी में कई ग़ज़लें अधूरी छूट जाती हैं
कई ख़्वाहिश तो दिल ही दिल में पूरी छूट जाती हैं
जुदाई में तो मैं उससे बराबर बात करता हूं
मुलाक़ातों में सब बातें अधूरी छूट जाती हैं
मै तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।
चारों तरफ़ बिखर गईं साँसों की ख़ुशबुएँ
राह-ए-वफ़ा में आप जहाँ भी जिधर गए
मेरे ख्वाबों मे जो तैरती थी,
अप्सरा तू वही हूबहू है,
एक मैं हूं यहाँ एक तू है…!
मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है
भरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करती है
यकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है
मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझाता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
मै तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है
तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है
हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है
अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी कल तक़
तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है.!
उसी की तरह मुझे सारा ‘ज़माना’ चाहे,
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे,
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
ये मुसाफिर हो कोई ठिकाना चाहे।
“कहीं पर जग लिए तुम बिन, कहीं पर सो लिए तुम
बिन. भरी महफिल में भी अक्सर, अकेले हो लिए तुम
बिन ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है अपने कभी
तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन.”
कहीं पर जग लिए तुम बिन,
कहीं पर सो लिए तुम बिन,
भरी महफिल में भी अक्सर,
अकेले हो लिए तुम बिन,
ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है
अपने कभी तो हंस लिए तुम बिन,
कभी तो रो लिए तुम बिन.!
जिंदगी से लड़ा हूँ तुम्हारे बिना
हाशिए पर पड़ा हूँ तुम्हारे बिना
तुम गई छोड़कर, जिस जगह मोड़ पर
मैं वहीं पर खड़ा हूँ तुम्हारे बिना.!
सालों बीत जाते हैं तिनका तिनका सिमटने में
तब कहीं जाकर हो पाते हैं घोंसले मयस्सर,
कमियां नहीं पैदा कर पाती दूरियां कभी, सीमा,
बस खुदगर्जी की चिंगारी ही हवा दे जाती है अक्सर ।