किसी ने क्या खूब कहा है मोहब्बत नहीं, यादें रुलाती है
खुदा ने मुझे बहुत वफादार
दोस्त दिए हैं,
याद मैं ना करू तो कोशिश
वो भी नहीं करते।
यूं ही नहीं रुखसत हो जाती यादें, जब तक इस दिल में रह जाती हैं, किसी अपनों की बातें।
कल रात को खोल कर देखी यादो की किताब रो
पडे की क्या क्या खोया है हमने ऐ ज़िंदगी।
सच्ची मोहब्बत में प्यार
मिले ना मिले लेकिन
याद करने के लिएएक
चेहरा जरूर मिल जाता है
अब न जागेंगे रातों को
हमें अपनी आदत को बदलना है
तेरी यादों के सहारे
तेरी नजरों की तरह।
उसका वादा भी अजीब था. कि जिंदगी भर साथ निभाएंगे, मैने भी यह नहीं पूछा मोहब्बत के साथ या यादों के साथ।
मौत का कुछ पता नही इसलिए बात कर लिया करो क्या पता फिर याद करो और हम ना हो।
उनकी यादों ने तो सितम
ढहाये हुए है पर बात
अलग है कि हमने इल्ज़ाम
अपने आप पर लिए है।
तुम आज हर सांस के साथ
याद आ रहे हो
अब तुम ही बताओ तुम्हारी याद को रोकूं
या अपनी सांस को।